तेहि अवसर सुनि शिव धनुभंगा
जौनपुर। राजा जनक की सभा में देश देश से पधारे राजा कमर में फेटा बांधकर ईष्ट देवों का स्मरण करते हुए शिव धनुष पर झपट पड़ते थे, परंतु वे धनुष को अपने स्थान से तिल भर भी दिगा ना सके। इधर गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर श्री राम जी मतवाले हाथी की भांति सहज गति से धनुष की ओर धीरे-धीरे बढ़ते हैं। उक्त बातें तिलकधारी महाविद्यालय के पूर्व प्रबंधक स्वर्गीय अशोक कुमार सिंह की चौथी पुण्यतिथि पर ग्राम महरूपुर स्थित हनुमान मंदिर पर आयोजित मानस कथा में पंडित प्रकाश चंद्र पांडे विद्यार्थी ने कही। उन्होंने बताया कि इधर राम जी धनुष तोड़ने जा रहे थे उधर सीता जी धनुष से प्रार्थना कर रही थी कि वह अपना भार सभा में बैठे राजाओं के ऊपर डाल दे। सीता ने धनुष को राम जी के सुकुमार शरीर के अनुरूप हल्का होने के लिए कह रही थी क्योंकि शिव धनुष के भीतर इच्छा अनुसार भारी और हल्का होने की क्षमता थी। इधर सीता की सहेलियां उनकी आकुलता को दूर करने के लिए उन्हें समझा रही थी कि सूर्य देखने में भले ही छोटा हो परंतु उसके उदित होते ही तीनों लोकों का अंधकार नष्ट हो जाता है। इसी बीच श्री राम ने शिव धनुष को तोड़ दिया और सीता ने जयमाला राम जी के गले में डाल दी। कथा के दूसरे व्यास पंडित मदन मोहन मिश्रा ने परशुराम और लक्ष्मण संवाद को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जब परशुराम ने कहा धनुष किसने तोड़ा तो सभा में सन्नाटा छा गया। जिन राजाओं से धनुष नहीं टूट सका वे तो मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे। श्रद्धालु देर रात तक राम कथा का रसपान करते रहे। उक्त अवसर पर तिलकधारी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राम आसरे सिंह, पूर्व प्राचार्य डॉ विनोद कुमार सिंह, पूर्व सांसद केपी सिंह, समाजसेवी एवं उद्योगपति ज्ञान प्रकाश सिंह, प्रोफेसर आर्यन त्रिपाठी, राजबहादुर सिंह, डॉक्टर अशोक रघुवंशी, डॉक्टर विजय सिंह, नितिन सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, शिवेंद्र प्रताप सिंह धर्मेंद्र सिंह नितिन सिंह वंशलोचन सिंह, आदि उपस्थित रहे। आभार ज्ञापन टीडी कॉलेज के प्रबंधक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने व्यक्त किया।
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