👉पूर्व प्रबंधक स्व. अशोक सिंह की पुण्यतिथि पर रामकथा आयोजित
जौनपुर। समस्त संसार भगवान राम का गुणगान करता है परंतु भगवान राम स्वयं हनुमान का गुणगान करते हैं। उक्त उद्गार तिलकधारी महाविद्यालय के पूर्व प्रबंधक स्व. अशोक कुमार सिंह की चौथी पुण्यतिथि पर ग्राम महरूपुर स्थित हनुमान मंदिर पर आयोजित तीन दिवसीय मानस कथा के अंतिम दिन पं. प्रकाशचन्द्र पांडेय विद्यार्थी ने व्यास पीठ से व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि हनुमान जी परोपकार की मूर्ति थे। उनका जीवन निः स्वार्थ सेवा के लिए था। मानस वेत्ता ने महावीर हनुमान की विनम्रता का चित्रण करते हुए -अस कहि नाइ सबन्हि कहुं माथा का उदाहरण देते हुए कहाकि आज की नयी पीढ़ी जहां अपने से बड़ों को भी प्रणाम करने में लज्जा का अनुभव करती है वहीं हनुमान जी अपने से छोटे और बड़े सभी को सहज भाव से प्रणाम करते थे। कथा व्यास ने जामवन्त के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हदय अति भाए पंक्ति की व्याख्या करते हुए कहाकि जहां एक वृद्ध भालू की बात एक युवा बंदर सहर्ष मान लेता है, शिष्टाचार का ऐसा उदाहरण मानव समाज के लिए अनुकरणीय है। कथा के दूसरे व्यास मानस कोविद पं. मदनमोहन मिश्र ने भगवान राम की विनम्रता का वर्णन करते हुए कहाकि लंका विजय के उपरांत भगवती सीता से युद्ध की चर्चा करते हुए प्रभु राम कहते हैं कि इस स्थान पर लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया। दूसरी ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि इस स्थान पर हनुमान और अंगद के हाथों में मारे गये राक्षसों के समूह पड़े है। जब सीता पूछती है कि रावण को किसने मारा तो रामजी कहने लगे कि रावण को मैने नहीं बल्कि उसके भय अथवा अहंकार ने मारा। मानस कोविद ने लंका विजय का श्रेय स्वयं को न देकर गुरू वशिष्ठ को दिया। उन्होंने गुरू वशिष्ठ कुल पूज्य हमारे। इनकी कृपा दनुज रन मारे पंक्ति की विस्तारपूर्वक व्याख्या प्रस्तुत की। उक्त अवसर पर महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह, तिलकधारी महाविद्यालय के प्राचार्य डा. रामआसरे सिंह, शशिमोहन सिंह क्षेम, प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह, पूर्व प्रमुख सुरेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो. आरएन त्रिपाठी, राजबहादुर सिंह, वीरेन्द्र सिंह एडवोकेट, सभाजीत द्विवेदी, धर्मेन्द्र सिंह, शिवेन्द्र सिंह, देवेन्द्र सिंह, सत्यप्रकाश सिंह, डा. बीएस उपाध्याय, राममोहन सिंह, डा. अरविंद सिंह, डा. दलसिंगार सिंह, पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे। श्रद्धालु देर रात तक मानस कथा की मंदाकिनी में डुबकियां लगाते रहे। आगन्तुकों के प्रति आभार ज्ञापन तिलकधारी महाविद्यालय के प्रबंधक राघवेन्द्र सिंह ने किया।
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