जौनपुर। कूटरचित प्रमाण पत्रों के जरिये प्रधानाचार्य पद पर हुई नियुक्ति के प्रकरण में जिलाधिकराी ने जिला विद्यालय निरीक्षक को जांच का आदेश दिया है। तिलकधारी सिंह इंटर कालेज जौनपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डा. वीरेन्द्र प्रताप सिंह पर आरोप है कि वे राष्ट्रीय इंटर कालेज महरेंव-पुरेंव में वित्तविहीन शिक्षक थे। वित्तविहीन रूप से कार्यरत शिक्षक प्रधानाचार्य पद के लिये योग्य नहीं रह जाता। इसके बावजूद माध्यमिक शिक्षा आयोग में कूटरचित प्रमाण पत्रों की बदौलत उन्होंने प्रधानाचार्य पद हासिल कर लिया। विभाग द्वारा उनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन किये बगैर उन्हे वेतन दिया जाता रहा। सेवानिवृत्ति के उपरांत डा. वीरेन्द्र प्रताप ने अपने समस्त देयों का भुगतान करा लिया। आज वे पेंशन भी ले रहे हैं। जिलाधिकारी ने एक माह के भीतर आख्या मांगी है।
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जेड हुसैन (बाबू)
मैनेजिंग डायरेक्टर
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